PM Vishwakarma Yojana: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की जानकारी
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार द्वारा 17 सितंबर, 2023 को शुरू की गई एक योजना है। यह योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को मान्यता, कौशल विकास, उपकरण सहायता, ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन और विपणन समर्थन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को “शिल्पकार” के रूप में मान्यता दी जाएगी और उन्हें एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। मान्यता के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- वे भारत के नागरिक होने चाहिए।
- वे 18 वर्ष से अधिक आयु के होने चाहिए।
- वे किसी भी 18 में से एक क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए जिनमें योजना लागू है।
- वे अपने कौशल और अनुभव के बारे में एक आत्म-घोषणा पत्र प्रस्तुत करने में सक्षम होने चाहिए।
मान्यता के लिए आवेदन करने के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
- आधार कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- बैंक खाता विवरण
- आत्म-घोषणा पत्र
आवेदन पत्र प्रधानमंत्री विश्वकर्मा पोर्टल पर ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। आवेदन पत्र भरने के बाद, कारीगरों और शिल्पकारों को अपने स्थानीय ग्राम पंचायत या नगर निकाय से सत्यापन कराना होगा। सत्यापन के बाद, आवेदन जिला कार्यान्वयन समिति को भेजा जाएगा। जिला कार्यान्वयन समिति आवेदनों की जांच करेगी और योग्य उम्मीदवारों को मान्यता प्रदान करेगी।
मान्यता के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2025 है।
मान्यता के लाभ:
- मान्यता प्राप्त कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
- उन्हें “शिल्पकार” के रूप में मान्यता दी जाएगी और उन्हें एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
- उन्हें कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
- उन्हें उपकरण सहायता और ऋण सहायता प्रदान की जाएगी।
- उन्हें विपणन सहायता प्रदान की जाएगी।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। कौशल विकास कार्यक्रमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- बुनियादी कौशल प्रशिक्षण: यह प्रशिक्षण कारीगरों और शिल्पकारों को उनके कार्य के बुनियादी पहलुओं में प्रशिक्षित करता है।बुनियादी कौशल प्रशिक्षण
- उन्नत कौशल प्रशिक्षण: यह प्रशिक्षण कारीगरों और शिल्पकारों को उनके कार्य में नवीनतम तकनीकों और तरीकों में प्रशिक्षित करता है।उन्नत कौशल प्रशिक्षण
- उद्यमी कौशल प्रशिक्षण: यह प्रशिक्षण कारीगरों और शिल्पकारों को अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और चलाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है।उद्यमी कौशल प्रशिक्षण
कौशल विकास कार्यक्रमों की अवधि 6 से 12 महीने तक होती है। कार्यक्रमों को प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा संचालित किया जाता है।
कौशल विकास कार्यक्रमों के लाभ:
- कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित कारीगर और शिल्पकार अपने कौशल को बढ़ाने और अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे।
- इससे उन्हें अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलेगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
- इससे भारत के पारंपरिक शिल्प और कलाओं को संरक्षित और बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को 5% की ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा। ऋण दो किस्तों में दिया जाएगा, पहली किश्त 1 लाख रुपये और दूसरी किश्त 2 लाख रुपये।
ऋण सहायता के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- वे भारत के नागरिक होने चाहिए।
- वे 18 वर्ष से अधिक आयु के होने चाहिए।
- वे किसी भी 18 में से एक क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए जिनमें योजना लागू है।
- उनके पास एक वैध व्यापार लाइसेंस होना चाहिए।
- उनके पास एक बैंक खाता होना चाहिए।
ऋण सहायता के लिए आवेदन करने के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
- आधार कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- बैंक खाता विवरण
- व्यापार लाइसेंस
- आत्म-घोषणा पत्र
आवेदन पत्र प्रधानमंत्री विश्वकर्मा पोर्टल पर ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। आवेदन पत्र भरने के बाद, कारीगरों और शिल्पकारों को अपने स्थानीय ग्राम पंचायत या नगर निकाय से सत्यापन कराना होगा। सत्यापन के बाद, आवेदन जिला कार्यान्वयन समिति को भेजा जाएगा। जिला कार्यान्वयन समिति आवेदनों की जांच करेगी और योग्य उम्मीदवारों को ऋण प्रदान करेगी।
ऋण सहायता के लाभ:
- ऋण सहायता से कारीगर और शिल्पकार अपनी कार्यशालाओं और उपकरणों में सुधार करने में सक्षम होंगे।
- इससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलेगी।
- इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
ऋण सहायता के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2025 है।
ऋण सहायता के लिए स्वीकृत कारीगरों और शिल्पकारों को ऋण की राशि का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है:
- कार्यशाला और उपकरण खरीदने के लिए
- कच्चे माल और सामग्री खरीदने के लिए
- विपणन और प्रचार के लिए
ऋण की राशि को 3 वर्ष की अवधि में 6 समान किस्तों में वापस किया जाना है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को 15,000 रुपये की अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी। यह सहायता उन्हें आधुनिक उपकरण खरीदने में मदद करने के लिए प्रदान की जाती है।
उपकरण सहायता के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- वे भारत के नागरिक होने चाहिए।
- वे 18 वर्ष से अधिक आयु के होने चाहिए।
- वे किसी भी 18 में से एक क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए जिनमें योजना लागू है।
- वे मान्यता प्राप्त कारीगर होने चाहिए।
उपकरण सहायता के लिए आवेदन करने के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
- आधार कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- बैंक खाता विवरण
- मान्यता प्रमाण पत्र
आवेदन पत्र प्रधानमंत्री विश्वकर्मा पोर्टल पर ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। आवेदन पत्र भरने के बाद, कारीगरों और शिल्पकारों को अपने स्थानीय ग्राम पंचायत या नगर निकाय से सत्यापन कराना होगा। सत्यापन के बाद, आवेदन जिला कार्यान्वयन समिति को भेजा जाएगा। जिला कार्यान्वयन समिति आवेदनों की जांच करेगी और योग्य उम्मीदवारों को उपकरण सहायता प्रदान करेगी।
उपकरण सहायता के लाभ:
- उपकरण सहायता से कारीगर और शिल्पकार अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और अधिक आय अर्जित करने में सक्षम होंगे।
- इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
उपकरण सहायता के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2025 है।
उपकरण सहायता के लिए स्वीकृत कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता राशि का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है:
- आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए
उपकरण सहायता राशि को 1 वर्ष की अवधि में 3 समान किस्तों में वापस किया जाना है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। प्रोत्साहन प्रति लेनदेन 1 रुपये है, अधिकतम 100 लेनदेन मासिक तक।
डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- वे भारत के नागरिक होने चाहिए।
- वे 18 वर्ष से अधिक आयु के होने चाहिए।
- वे किसी भी 18 में से एक क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए जिनमें योजना लागू है।
- वे मान्यता प्राप्त कारीगर होने चाहिए।
- वे डिजिटल भुगतान विधियों का उपयोग करके अपने ग्राहकों से भुगतान स्वीकार करने में सक्षम होने चाहिए।
डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन के लाभ:
- यह कारीगरों और शिल्पकारों को डिजिटल भुगतान विधियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- इससे उन्हें अपने व्यवसाय के खर्चों को कम करने में मदद मिलेगी।
- इससे उन्हें अपने ग्राहकों को अधिक सुविधाजनक भुगतान विकल्प प्रदान करने में मदद मिलेगी।
डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को अपने स्थानीय बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करना होगा।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, पात्र कारीगरों और शिल्पकारों को विपणन समर्थन प्रदान किया जाता है। इस समर्थन में निम्नलिखित शामिल हैं:
- गुणवत्ता प्रमाणन: कारीगरों और शिल्पकारों को उनके उत्पादों के गुणवत्ता प्रमाणन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाने और ग्राहकों के विश्वास को हासिल करने में मदद करता है। गुणवत्ता प्रमाणन
- ब्रांडिंग और प्रचार: कारीगरों और शिल्पकारों को अपने ब्रांड और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उन्हें विज्ञापन, प्रचार और अन्य मार्केटिंग गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान की जाती है। ब्रांडिंग और प्रचार
- ई-कॉमर्स लिंकेज: कारीगरों और शिल्पकारों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों से जुड़ने में मदद की जाती है। इससे उन्हें अपने उत्पादों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलती है।
- व्यापार मेलों में भागीदारी: कारीगरों और शिल्पकारों को व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे उन्हें अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और नए ग्राहकों तक पहुंचने का अवसर मिलता है।व्यापार मेलों में भागीदारी
- प्रचार और विज्ञापन: कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और व्यवसायों के प्रचार और विज्ञापन के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है।
विपणन समर्थन के लाभ:
- यह कारीगरों और शिल्पकारों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने और अधिक ग्राहकों तक पहुंचने में मदद करता है।
- इससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और आय बढ़ाने में मदद मिलती है।
- इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभार्थी 18 क्षेत्रों में कार्य करने वाले कारीगर और शिल्पकार हैं, जिनमें शामिल हैं:
- लकड़ी के काम
- धातु के काम
- चमड़े के काम
- कांच के काम
- बर्तन बनाने का काम
- कताई और बुनाई
- टोकरी बनाना
- कृषि उपकरण बनाने का काम
- मूर्तिकला
- चित्रकला
- संगीत वाद्ययंत्र बनाने का काम
- पेंटिंग
- प्रिंटिंग
- बढ़ई का काम
- सुनार का काम
ये क्षेत्र भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये क्षेत्र भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य इन कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल विकास, वित्तीय सहायता और विपणन समर्थन प्रदान करके उनकी आजीविका को बढ़ावा देना है।
योजना के तहत, पात्र कारीगर और शिल्पकार निम्नलिखित लाभों के लिए पात्र हैं:
- मान्यता: उन्हें “शिल्पकार” के रूप में मान्यता दी जाएगी और उन्हें एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
- कौशल विकास: उन्हें कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा।
- वित्तीय सहायता: उन्हें ऋण सहायता, उपकरण सहायता और डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- विपणन समर्थन: उन्हें गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग और प्रचार, ई-कॉमर्स लिंकेज, व्यापार मेलों में भागीदारी और प्रचार और विज्ञापन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।